अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बीच कई भारतीय अब भी वहां फंसे हैं. वो लोग भले लाखों किलोमीटर दूर अफगानिस्तान में हों पर यहां देश मे उनके घरवालों की जान आफत में है। हर पल टीवी पर बम फटने की खबरें देखते परिवार का बुरा हाल हो गया है। ऐसे ही हैं गोरखपुर के रहने वाले शैलेन्द्र शुक्ला। सीएम सिटी से होने के बावजूद यहां हाल बेहाल है। और शैलेन्द्र अभी तक वहां से निकल नहीं पाए हैं। आपको बता दें कि शैलेन्द्र शुक्ला के अलावा गोरखपुर के ही 2 और लोग भी वहां फंसे हुए हैं। अगर शैलेंद्र की बात करें तो वो अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की एक स्टील फैक्ट्री में काम के लिये गए थे। शैलेंद्र को ये अंदाजा नहीं था कि हालात अचानक इतने खराब हो जाएंगे और तालिबान रातों-रात अफगानिस्तान को टेक ओवर कर लेगा। इतना ही नहीं खुद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति को देश छोड़कर इतनी जल्दी भागना पड़ेगा, इसका तो किसी को भी अंदाजा नहीं था।
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शैलेंद्र गोरखपुर के चौरी चौरा के रहने वाले हैं और उनके बड़े भाई ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द उन्हें वहां से निकाला जाए। शैलेंद्र के परिवार में उनकी बूढ़ी मां, पत्नी और 2 बच्चे हैं। गोरखपुर का जिला प्रशासन भी इस मामले में लगा हुआ है लेकिन आख़िर खुद उनके सगे भाई का क्या कहना है, आइये आपको सुनवाते हैं –
अफगानिस्तान में फंसे गोरखपुर के रहने वाले शैलेन्द्र के परिवारवालों को उनका बेसब्री से इंतजार है. उनके बड़े भाई से उनके घर पर जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार से यही रिक्वेस्ट है कि उन्हें जल्दी से जल्दी घर वापस लाया जाए। क्या उनसे बात हो रही है इस पर शैलेंद्र के बड़े भाई ने कहा कि बात हो रही है पर संतुष्टि नहीं मिल पा रही है क्योंकि उनके घर पर सभी तनाव में हैं और अफगानिस्तान में भी तालिबान ने कब्जा कर लिया है। तालिबान ने आज भी कई भारतीय, जो वापस लौटने के लिए काबुल एयरपोर्ट आ रहे थे, उन्हें रोक लिया और वो देश वापस आने के लिए काबुल से लौट रहे एयरफोर्स के हवाई जहाज में नहीं लौट सके।
गोरखपुर के चौरीचौरा के दुबौली गांव के रहने वाले शैलेन्द्र शुक्ला अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मशीन इंस्टाल करने गए थे। उनका परिवार चौरीचौरा के राघवपट्टी पड़री में रह रहा है.
समाज सेवी अमरीश यादव कहते हैं कि शैलेंद्र शुक्ला का परिवार बुरी तरह से डर हुआ है। उनका कहना है शैलेन्द्र भी वहां पर परेशान हैं। वहां की हालत बहुत खराब है। शैलेन्द्र चौरीचौरा विधानसभा के रहने वाले हैं इसलिए लोकल एडमिनिस्ट्रेशन और सरकार को इसका संज्ञान लेना चाहिए। एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक मंगलवार को ही पूरे मामले के बारे में पता चल गया था लेकिन शैलेन्द्र खुद मामले को मीडिया में नहीं आने देना चाहते थे। इसके बाद बुधवार को लोकल तहसीलदार ने शैलेन्द्र के घर जाकर उनके परिवार से मुलाकात की और उन्हें मदद का भरोसा दिलाया। शैलेन्द्र के परिवार में उनकी बुजुर्ग मां, उनकी पत्नी और 2 बच्चे हैं।