उधर अफगानिस्तन में कट्टर इस्लामिक तालिबानी आतंकवादियों ने अपना कहर दिखाया तो यहां यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी कमर कस ली है। सीएम योगी ने इस्लाम के गढ़ माने जाने वाले यूपी के देवबन्द में एटीएस कमांडों सेंटर खोलने का बड़ा ऐलान कर दिया है। लेकिन ऐसी क्या बात है कि यूपी के विपक्ष यानी सपा और कांग्रेस को ये फैसला फूटी आंखों नहीं सुहा रहा है। सपा ने इसे मुसलामानों को डराने वाला बताया है। सपा का कहना है कि अब चूंकि चुनाव नजदीक आ गए हैं तो भाजपा सरकार मुसलमानों को डराकर वोटों का ध्रुवीकरण कराना चाहती है। हालांकि सपा ने देवबन्द से लगातार निकल रहे आतंकी कनेक्शंस पर कुछ नहीं कहा। सपा के रामगोविंद चौधरी ने कहा कि ये गलत हुआ है। वहां धार्मिक शिक्षा दी जाती है, ऐसे मुसलमानों को डराना अच्छी बात नहीं है। चौधरी यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बोलते हुए कहा कि ये कानून पहले इंदिरा गांधी इमरजेंसी के टाइम लेकर आईं थीं। जिसके बाद यूपी से कांग्रेस का सफाया होने लगा था। लेकिन अब धीरे-धीरे भाजपा भी उसी राह पर आगे बढ़ रही है।
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आपको याद दिला दें कि कभी इस्लामिक शिक्षा के लिए जाना जाने वाला देवबंद एक लंबे समय से अपने आतंकी क्नेक्शंस के लिए बदनाम है। जिन आतंकवादियों को पुलवामा हमले की पहले से जानकारी थी ,वो भी देवबंद से ही पकड़े गए थे। देवबंद में एटीएस कमांडों सेंटर बनाने का तो ऐलान हुआ ही है, इस बार 15 अगस्त को देवबन्द की जामा मस्जिद में पहली बार तिरँगा फहराया गया। तिरंगा झंडा जैसे ही फहराया गया वैसे ही पूरा इलाका भारत माता की जय के नारों से गूंज उठा।
यूँ तो देवबंद को मुसलमानों का गढ़ और फतवों का शहर कहा जाता है, पर अबकी 15 अगस्त को यहां एक अलग ही इतिहास लिख दिया गया। जिस जमा मस्जिद में पहली बार तिरंगा फहराया गया वो देवबन्द के मानकी गांव में है।

जी हां, और हम आपको बता दें कि ये तिरंगा भी कोई छोटा मोटा तिरंगा नहीं था, बल्कि ऐसा तिरंगा था कि आप उसे कई-कई किलोमीटर से देख सकते हैं। शायद आपको यकीन ना हो पर इस तिरँगे का साइज 58 फिट थी। 15 हजार की आबादी वाले इस गांव में ग्राम पंचायत की ओर से जामा मस्जिद कमेटी की रजामंदी के बाद सबसे पहले 58 फीट का पिलर बनाया गया था। इसके बाद जिस पर 14 फीट चौड़ा और 21 फीट लंबा तिरंगा लगाया गया। देवबंद के माहौल को देखते हुए ये बदलाव अहम माना जा रहा है। और इसी बीच जब तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद पाकिस्तान और तालिबान उसके फेवर में खुलकर आ गए हैं तो ये साफ तौर पर माना जा रहा है कि भारत मे तालिबान खुराफ़ात कर सकता है। ऐसे माहौल को देखते हुए यूपी जैसे बड़े स्टेट मे ऐसे आतंकियों पर नजर रखने के लिये एक स्पेशलाइज्ड यूनिट की सख्त जरूरत थी।