झारखण्ड में स्कूलों का इस्लामीकरण बदस्तूर जारी है। पिछले दिनों आपने सुना होगा कि गढ़वा की एक स्कूल में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने स्कूल प्रशासन पर दबाव बना कर के प्राथना में परिवर्तन ला दिया था। उसके कुछ दिनों बाद ही ख़बरें आयी कि जामताड़ा की मुस्लिम बहुल इलाकों की लगभग 100 स्कूलों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जबरन उर्दू स्कूल लिख दिया और रविवार के जगह शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी घोषित कर दी गयी।
साहिबगंज जिले में भी मदरसे के तर्ज पर चल रहे हैं सरकारी स्कूल
वहीं ठीक इसके बाद ऐसी ही एक खबर संथाल परगना के दूसरे जिला दुमका से आयी। जहां सरकारी स्कूलों में ठीक जामताड़ा जैसा ही पैटर्न देखने को मिला। सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर कहा कि झारखण्ड के स्कूलों में पहले के तरह ही रविवार को छुट्टी होगी। वहीं बीते शुक्रवार यानि कल ही समाचार पत्र दैनिक जागरण ने पड़ताल में साहिबगंज जिले के मंडरो प्रखंड का उत्क्रमित मध्य विद्यालय नयाटोला व उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय उत्तरी करमटोला बंद पाया। और यहां भी ठीक जामताड़ा और दुमका जैसा पैटर्न देखने को मिला, जहां स्कूल के शिक्षक और छात्र एक विशेष समुदाय वर्ग से आते हैं इसलिए साप्ताहिक छुट्टी रविवार होने के बजाय शुक्रवार को कर दी गयी है। स्कूल सामान्य है या उर्दू इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
शिक्षा विभाग के रिकार्ड के अनुसार उत्क्रमित मध्य विद्यालय नयाटोला सामान्य स्कूल है लेकिन इस स्कूल के नाम में उर्दू भी जोड़ दिया गया है। स्कूल पर उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय नयाटोला अंकित कर दिया गया है। आसपास के लोगों ने बताया कि यह स्कूल वर्षों से शुक्रवार को बंद तथा रविवार को खुला रहता है। शिक्षकों का कहना है कि स्कूल में नामांकित सभी बच्चे मुस्लिम समुदाय के हैं। स्कूल में तीन शिक्षक हैं वह भी उसी समुदाय से आते हैं। इसलिए स्कूल में शुक्रवार को साप्ताहिक छुट्टी रहती है।
वहीं उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय उत्तरी करमटोला में पूर्व में रविवार को साप्ताहिक अवकाश रहता था लेकिन विगत दो साल से यह शुक्रवार को बंद रहने लगा। सूत्रों की मानें तो मंडरो प्रखंड मुख्यालय के आसपास के कई अन्य स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार को ही होता है। दुर्गम क्षेत्र होने की वजह से कभी शिक्षा विभाग के अधिकारी उन स्कूलों का निरीक्षण नहीं करते।
बोरियो, बरहड़वा और राजमहल का भी यही है हाल
वहीं बोरियो के नव प्राथमिक विद्यालय संथाली टोला में भी शुक्रवार को सुबह 10 बजे ताला लटका हुआ था। बगल में रहनेवाले एक व्यक्ति ने बताया कि स्कूल प्रत्येक शुक्रवार को बंद रहता है। इसके साथ ही आपको बता दें, बरहड़वा व राजमहल प्रखंड के कई स्कूलों में भी शुक्रवार को साप्ताहिक अवकाश रहता था लेकिन मामला खुलने के बाद अब रविवार को साप्ताहिक अवकाश कर दिया गया है।
खर्राटे की नींद सोयी है हेमंत सरकार
पहले गढ़वा, जामताड़ा, दुमका और अब साहिबगंज ऐसा प्रतीत होता है कि पुरे झारखण्ड में इस्लामीकरण का एजेंडा जोर-शोर से चल रहा है। दुमका और साहिबगंज जो JMM का गढ़ माना जाता है वहां पर भी इस्लामीकरण जारी है और झारखण्ड सरकार खर्राटे की नींद सो रही है। पड़ोसी राज्य बंगाल से सटे झारखण्ड के जो जिले हैं वहां से लगातार ऐसी ख़बरें सामने आ रही है। ये स्थिति वाकई बहुत भयावह है और चिंतनीय है। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार भी लगातार एंटी हिन्दू गतिविधियों के लिए निशाने में रही है। भ्रष्टाचार में डूबी ये सरकार तुष्टिकरण की राजनीति में भी कहीं कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
जो चीजें कल तक बंगाल में हो रही थी वो चीजें आज बंगाल की सीमा से सटे झारखण्ड के जिलों में भी होने लगी है। इसका मुख्य कारण बांग्लादेशी घुसपैठियों का बे रोक टोक भारत आना है। बांग्लादेश बॉर्डर को पार कर पहले ये बंगाल आते हैं फिर वहां से झारखण्ड के जिलों में इनका घुसपैठ बदस्तूर जारी रहता है। इसके साथ ही इन घुसपैठियों को राजनीतिक संरक्षण भी मिल जाता है और उन्हें यहां के नागरिकों की तरह बसाया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये खेल पिछले 20-30 सालों से जबरदस्त चल रहा है।
दियारा क्षेत्रों को अड्डा बना चुके हैं घुसपैठिये
अगर साहिबगंज जिले की बात करें तो यहां का जो दियारा का इलाका है, जैसे पियारपुर, इंग्लिश, मनसिंहा और भी कई इलाके हैं जिनको ये घुसपैठिये अपना अड्डा बना चुके हैं। वहीं राजमहल विधायक अनंत ओझा ने विधानसभा में मुदा उठाया था कि इन क्षेत्रों में PFI के स्लीपर सेल भी सक्रिय हैं। आपने हाल में देखा होगा कि बिहार की राजधानी पटना में PFI का भारत को 2047 तक इस्लामी राष्ट्र बनाने का मॉड्यूल एक्सपोज़ किया गया, जहां से ये इस्लामी गज़वा-ए-हिन्द की विचारधारा को बढ़ाना चाहते थे।
जिन इलाकों में मुस्लिमों की आबादी में बढ़ोत्तरी हुई है वहां आप देखेंगे कि मुस्लिम अपना पैरलल नियम चलाते हैं, जो कि शरिया समर्थित होती है और उसका संविधान से कोई नाता नहीं होता है। देश की दशा और दिशा को निर्धारित करने के लिए जो लोग जिम्मेदार हैं उनको इन मामलों पर संज्ञान लेना चाहिए। यह कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। इस तरह की चीजें देश के कई सारे मुस्लिम बहुल इलाकों में हो रही होगी जो आपके और हमारे संज्ञान में नहीं है। और अगर वोट पाने के लिए इस तरह की गतिविधियां हो रही है तो देश को इसका बहुत बड़ा खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।