Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र की राजनीति अब एक नए मोड़ की ओर जा रही है। खबर है कि शिवसेना के बागी विधायक उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना में शामिल हो सकते हैं। इसके पीछे कारण यह है कि शिंदे के पास दो तिहाई, यानी 37 से ज्यादा विधायकों का समर्थन होने के बावजूद विधानसभा में अलग पार्टी की मान्यता मिलना आसान नहीं है। अगर बागी गुट राष्ट्रपति चुनाव से पहले मसले का हल चाहता है तो उसके पास सबसे आसान रास्ता खुद का किसी दल में विलय करना है। ऐसे में एक बड़ी संभावना मनसे में शामिल होने की ही है।
MNS चीफ राज ठाकरे करेंगे विचार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मनसे से जुड़े एक बड़े नेता ने बताया है कि शिंदे गुट की ओर से एक ऑफर जरूर आया है। हालांकि, अभी इस पर मनसे चीफ को विचार करना है। मनसे नेता ने नाम न जाहिर करने कि शर्त पर यह भी कहा कि राजनीति में कभी कोई संभावना खत्म नहीं होती है। मनसे नेता ने यह भी कहा कि दोनों पक्षों के लोगों की विचारधारा एक जैसी है, इसलिए अगर वे साथ आते हैं तो यह महाराष्ट्र की जनता के लिए अच्छा ही होगा।
हालांकि, अभी सिर्फ दोनों पक्षों के बीच चर्चा शुरू हुई है। इस बीच, एकनाथ शिंदे ने भी राज ठाकरे से तीन बार बात की है। हालांकि, मनसे नेता ने इसे राज ठाकरे की सेहत जानने के लिए किया गया फोन बताया है। बता दें कि कुछ दिन पहले राज ठाकरे की हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी हुई है।
इसलिए हो सकता है मनसे से विलय
राजनीतिक जानकारों की माने तो शिंदे गुट डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल द्वारा अपात्र करार दिए गए अपने 16 विधायकों को बचाने के लिए जल्द से जल्द पहले से मौजूद किसी राजनीतिक दल से विलय करना चाहती है। मनसे का भले ही विधानसभा में एक विधायक है, लेकिन पार्टी लगभग पूरे महाराष्ट्र में स्थापित है। ऐसे में किसी अन्य दल के साथ विलय की जगह शिंदे गुट के लिए मनसे सबसे सटीक पार्टी होगी। दोनों बाला साहब की विचारधारा से प्रभावित हैं और उनकी तरह ही कट्टर हिंदुत्व के मुद्दे पर आगे बढ़ने की बात कर रहे हैं।
धुल सकती है उत्तर भारतीय विरोधी पार्टी होने की इमेज
आपको बता दें, मुंबई में 26% मराठी वोटर्स हैं, जबकि बाकी 64% में उत्तर भारतीय, गुजराती और अन्य शामिल हैं। ये BJP के साथ शिवसेना को भी वोट करते हैं। ऐसे में अगर मनसे में शिंदे गुट का विलय होता है तो राज ठाकरे की पार्टी को बड़ा विस्तार और MNS की उत्तर भारतीय विरोधी पार्टी होने की इमेज भी धुल सकती है।