दिल्ली से दहला देने वाला मामला सामने आया है। मामला एक सरकारी जमीन पर कब्जे से जुड़ा है। और कब्जा भी कहां! देश के दिल, दिल्ली में भीङ वाले एक फ्लाईओवर की जमीन पर। और देखिए न! कितना नायाब तरीका निकाला कब्जाने का कि जमीन पर रातों-रात मजार ही बना डाली। मजार यानि मुस्लिम समुदाय का एक धार्मिक स्थल। इस मामले में एक्शन हुआ है और फिलहाल इलाके के एसएचओ सीपी भारद्वाज को सस्पेन्ड कर दिया गया है। इस मामले की खास बात ये भी है कि सस्पेंशन का ये एक्शन जनता जनार्दन की आवाज़ पर लिया गया है। लोगों ने ट्वीटर पर सीपी भारद्वाज के खिलाफ अभियान चलाकर एक्शन लिए जाने की मांग की थी।
आइये आपको बताते हैं आखिर पूरा मामला है क्या –
ये पूरा कांड तब लाइमलाइट में आया जब एसएचओ सीपी भारद्वाज की एक आदमी से नोकझोंक का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसके बाद लोगों ने ट्वीटर पर जमकर भारद्वाज के खिलाफ कैम्पेन चलाया था। भारद्वाज के सस्पेंड होते ही लोग उनके उनके सपोर्ट में और विरोध में अपनी राय रखने लगे। हालांकि दिल्ली पुलिस ने भी पूरे मामले पर कॉमेंट किया है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि भारद्वाज के सस्पेंशन का इस मामले से कुछ लेना देना नहीं है। उन्हें अपने सीनियर्स से चीज़ें छुपाने और मिसलीड करने के लिये सस्पेंड किया गया है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि नूर मोहम्मद मस्जिद के पास 7 अगस्त की आधी रात को गोली चलने की खबर पुलिस को मिली थी, इसमें एक आदमी इंजर्ड भी हुआ था।उसके स्टेटमेंट के बाद एक क्रॉस एफआईआर भी दर्ज की गई थी। इस मामले में सच्चाई ये थी कि गोली दोनों तरफ से चली थी और एक गोली खुद भारद्वाज ने भी चलाई थी जबकि भारद्वाज ने अपने सीनियर्स को बताया कि वो आदमी खुद अपनी गोली लगने से घायल हुआ है। बाद में भारद्वाज ने ये बात।खुद भी थाने की डेली डायरी में लिखी थी।

ये पूरा मामला सामने आने के बाद डिपार्टमेंटल इंक्वायरी के ऑर्डर जारी हो गए हैं। आपको याद दिला दें कि कुछ दिनों पहले दिल्ली के आजदपुर फ्लाईओवर पर बनी मजार का एक वीडियो वायरल हो गया था। वीडियो में साफ तौर पर एसएचओ और कुछ लोगों की गरमागरम बहस होती देखी जा सकती है। भारद्वाज का कहना है कि करीब 10 दिन पहले कुछ लोग मजार के पास आये और उसके केयरटेकर सिकन्दर से बहसबाजी करने लगें। जब मुझे इसकी जानकारी मिली तो मैं लॉ एंड ऑर्डर संभालने मौके पर पहुंचा और दोनों पार्टियों को समझाने लगा कि इमारत का लीगल या अवैध होना तय करना पुलिस का काम नहीं है।