अफगानिस्तान में औरतों के बुरे दिन शुरू हैं। अब 23 साल बाद जब तालिबान का खौफ लौट आया है तब हालात और बद से बदतर होते जा रहे हैं। इस बीच जो लोग अब तक तालिबानियों के अफगानिस्तान पर कब्जे को इस्लाम की जीत के तौर पर देख रहे थे उनके लिए ये खबर आंखे खोल देने वाली है। हम आपको बता दें कि अफगानिस्तान की मुसलमान आबादी मोटा-मोटी 4 तरह के मुसलमानों में बंटी है।

पहले हैं सुन्नी मुसलमान, दूसरे उज्बेक, तीसरे तजाक, और चौथे हैं हजारा मुसलमान। इसमें से उज्बेक और तजाक मुसलमान आबादी आज के उजेबकिस्तान और तजाकिस्तान देशों में रहती है। तीसरे हुए सुन्नी मुसलमान यानी खुद तालिबानी जिस कैटेगरी से आते हैं। और चौथे हजारा मुसलमानों को तालिबानी मुसलमान ही नहीं मानते। तालिबान इन्हें काफ़िर कहकर बुलाते हैं। तालिबान के एक कमांडर ने बरसों पहले एक भाषण दिया था, जोकि पूरी दुनिया मे फैला। जिसमे उसने कहा था कि उज्बेक, उजेबकिस्तान चले जाएं। तजाक, तजाकिस्तान चले जाएं। और हजारा या तो मुसलमान बन जाएं या फिर कब्रिस्तान चले जाएं।

अब एक बार फिर धीरे धीरे तालिबानी पूरे देश मे फैल रहे हैं, वैसे-वैसे उन्होंने हज़ारा मुसलमानों की लड़कियों से जबरदस्ती शादी करना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं कई जगह लड़कियों को अगवा कर उनसे रेप की भी खबरें हैं। इतना ही नहीं एक लड़की को टाइट कपड़े पहनने के आरोप में गोली मार दी गई। जिन दुकानों को औरतें चलाती थीं उन पर नोटिस लगा दिया गया है कि अब दोबारा न आएं वरना उन्हें गोली मार दी जाएगी।
तालिबानी कमांडर बाकायदा घर-घर जाकर बुजुर्गों से कह रहे हैं कि वो सभी लड़कियां जिनकी उम्र शादी लायक हो गई है या फिर जो लड़कियॉ विधवा हैं उनकी लिस्ट बनाकर तालिबान को जल्द से जल्द दे दी जाए। तालिबान के जो लड़ाके हैं उनकी शादी इन लड़कियों से करवाई जाएगी। ये हजारा मुसलमान लड़कियां और इनकीं फैमिली जबरदस्त तरीके से डरी हुई है और इनमें से ज्यादातर इन्हें काबुल भेज रहे हैं।

सुन्नी वर्ग से आने वाले तालिबानी आतंकवादी कैसे अपना बवाल काट रहे हैं, इसे आप ऐसे समझिए कि मुहर्रम के इस महीने को शिया मुसलमान खास मानते हैं और काले झंडे लगाकर इमाम हुसैन की मौत का गम मनाते हैं। लेकिन तालिबानी आतंकवादी जहां भी इन झंडों को देख रहे हैं वहां इन को जलाकर अपना सफेद रंग का तालिबानी झंडा लगा दे रहे हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान के सभी हजारा बहुल जिलों में मॉस मर्डर भी शुरू हो गया है। जमकर हजारा आबादी का कत्लेआम होने की खबरें हैं। शुरू शुरू में तालिबानी यहां आए तो उन्होंने शान्ति का भरोसा दिया था लेकिन वो एक दिखावा था, जिससे इंटरनेशनल लेवल पर खुद की ब्रांडिंग करके इमेज चमकाई जा सके। लेकिन तुरन्त बाद तालिबान ने घर घर जाकर लोगों के आईडेंटिटी कार्ड चेक करने शुरू कर दिए। इसमें ये हुआ कि जो लोग अफगान सेना से जुड़े निकले या फिर हजारा मुसलमान निकले, उन्हें मारा जाने लगा।