रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है। दोनों के बीच भयंकर लड़ाई शुरू हो चुकी है। रूस लगातार यूक्रेन पर हवाई हमले कर रहा है, जिससे यूक्रेन के सैन्य सिस्टम को तबाह कर उसकी सेनाओं को बर्बाद किया जा सके। रूस की ओर से दावा किया गया है कि अब तक मिलिट्री एक्शन में यूक्रेन के 40 सैनिक मारे जा चुके हैं। वही यूक्रेन का दावा है कि उसने रूस के 9 सैनिक मार दिए हैं इनमें से किस का दावा सही है, यह तो पता नहीं लेकिन एक बार फिर जिस तरह से रूस और यूक्रेन के मामले में अमेरिका, नाटो और यूरोपियन यूनियन दखल दे रहे हैं एक बार फिर इस बात का अंदेशा पैदा हो गया है कहीं दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की ओर तो नहीं बढ़ रही है।
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रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जिस तरीके से प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया और एक ट्वीट भी किया है कि हम दोनों के बीच में जो कोई भी आया वह बुरी तरह से तबाह हो जाएगा।
उससे एक बात का स्पष्ट संदेश जाता है कि शुरुआत में तो अमेरिका ने यूक्रेन को भले ही उकसा दिया हो लेकिन अब यूक्रेन के साथ उस मजबूती से खड़ा होता नजर नहीं आ रहा है।
हालांकि यूरोपियन यूनियन ने यह बात कही है कि वह रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाएगा लेकिन यह सारी चीजें जब होंगी तब होंगी। फिलहाल कम से कम यूक्रेन और यूक्रेन में रह रहे तमाम दूसरे देश के नागरिक संकट में फंसे हुए हैं। खुद भारत के भी तमाम लोग और करीब 20 हजार स्टूडेंट्स वहां फंस गए हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि रूस और यूक्रेन के बीच जब युद्ध शुरू हो चुका है, ऎसे में इस विनाश लीला का भारत पर क्या असर पड़ेगा? क्या भारत भी संकट में फंस जाएगा ? भारत में किस तरह की दिक्कतें आने वाली हैं? हमें किस तरह से तैयार रहना चाहिए? आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हो चुकी है। दोनों देश लगातार एक दूसरे पर हवाई हमले का दावा कर रहे हैं। यूक्रेन की ओर से दावा किया गया है कि अब तक दोनों पक्षों के कुल मिलाकर सौ के करीब सैनिक मारे जा चुके हैं। हालांकि इस बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि वह अपने छात्र और नागरिकों की सुरक्षा के लिए लगातार लगा हुआ है। यहां पर बताते चलें अभी भी भारत के 18000 स्टूडेंट यूक्रेन में फंसे हुए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय लगातार उनके लिए हेल्पलाइन नंबर जारी कर रहा है। विदेश मंत्रालय कह रहा है कि वहां फंसे लोग उसकी एडवाइजरी का पालन करें और छुपने के लिए बनाए गए बंकरों में जाकर शरण लें।
ऐसे में जानना जरूरी है कि भारत में जो लोग अभी रह रहे हैं उन पर किस तरह की दिक्कतें आने वाली हैं। असल में माना जा रहा है कि कच्चे तेल की कीमतें $100 प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं। उसके बाद भारत में सनफ्लावर ऑयल काफी महंगा हो जाएगा असल में सनफ्लावर ऑयल महंगा होने से पॉम ऑयल की कीमतों में काफी उछाल आने की उम्मीद है। एक सबसे बड़ी बात यह भी है कि रूस दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं का सप्लायर है। अगर यूक्रेन की बात करें तो यूक्रेन दुनिया का चौथा सबसे बड़ा गेहूं वाला सप्लायर है। हालांकि माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ तो बीते सालों में जिस तरह से भारत की गेहूं की डिमांड कम हुई है, वह तो बढ़ जाएगी। लेकिन तेल की कीमतों में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं मिडिल ईस्ट और अफ्रीका के भी कई देश मक्के और गेहूं की सप्लाई के लिए यूक्रेन और रूस पर डिपेंड हैं। और जैसाकि हमने बताया कि भारत को सनफ्लावर ऑयल और खाने वाले तेल के चलते दिक्कत हो सकती है। असल में इसका मूल कारण यह है कि भारत पॉम ऑयल के लिए मुख्य रूप से यूक्रेन पर ही लंबे समय से निर्भर रहा है। पिछले साल यानी 2021 में भारत में करीब 19 लाख टन सनफ्लावर ऑयल यूक्रेन से आयात किया था।
इतना ही नहीं न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर के मामले में यूक्रेन भारत का सबसे बड़ा सप्लायर है। अगर ये लड़ाई लंबी खिंची तो भारत में न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े प्रोजेक्ट प्रभावित होंगें। भारत ने 2020 में करीब 103 मिलियन डॉलर का न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर यूक्रेन से खरीदा था।
बात केवल यहीं पर नहीं रुकती। भारत के कई सेक्टर्स पर इसका असर पड़ने की उम्मीद है। पैलेडियम, ऑटोमोटिव एग्जॉस्ट सिस्टम और मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाले मेटल की कीमतें लगातार बढ़ रहीं हैं। रूस पैलेडियम का दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर देश है। भारत के हथियारों के आयात पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा।